पापा का घर
ब्याही जाती हैं बेटियां दूसरे घर में ।
चली जाती हैं बेटियां पापा के घर से ।।
जिस फूल के पौधे को अपनी स्नेह से
सींच कर बड़ा किया पापा ने ।
ले जाते हैं दूसरे अपनी आँगन महकाने के वास्ते ।।
ये सफ़र पापा के घर से कोई और घर तक नहीं
किसी और दुनिया में कदम रखना जैसा है ।
जहाँ पापा के राजकुमारी को रानी बनाने ले जाया ।
जाता है और उस की पहचान बदल जाती है ।।
वाक़ई पापा का घर बगिया होता है जहाँ तितलियों सा उड़ती हैं बेटियां ।।
Rima ✍️
#poetrycommunity #poem
© LABZ QUEEN
चली जाती हैं बेटियां पापा के घर से ।।
जिस फूल के पौधे को अपनी स्नेह से
सींच कर बड़ा किया पापा ने ।
ले जाते हैं दूसरे अपनी आँगन महकाने के वास्ते ।।
ये सफ़र पापा के घर से कोई और घर तक नहीं
किसी और दुनिया में कदम रखना जैसा है ।
जहाँ पापा के राजकुमारी को रानी बनाने ले जाया ।
जाता है और उस की पहचान बदल जाती है ।।
वाक़ई पापा का घर बगिया होता है जहाँ तितलियों सा उड़ती हैं बेटियां ।।
Rima ✍️
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