अकेला हूँ मैं
हज़ारों की भीड़ है, ना दिखता मुझे मेरा मीत है.
ना दोस्त हैं और ना साहरा, मैं भटकता अकेला बेचारा.
बहूतओ को जानता हूँ, लेकिन किसी को अपना नहीं पाता हूँ.
कही खो सा गया है मेरा ये दिल, शायद...
ना दोस्त हैं और ना साहरा, मैं भटकता अकेला बेचारा.
बहूतओ को जानता हूँ, लेकिन किसी को अपना नहीं पाता हूँ.
कही खो सा गया है मेरा ये दिल, शायद...