...

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क्यों पूछता है मेरा पता?
तू ईश्वर है,
तू है अल्लाह!
तू यीशु भी,
तू ही मौला!
तू नानक है,
तू ही गौतम भी,
तेरे नाम अनेक, तू एक ही है।
तू मुझे बनाने वाला भी,
तूने ही दुनिया बनाई है,
पर तुझसे एक शिकायत है!!
जब मैं तेरे दर पे आया,
तूने तो नहीं पूछा मुझसे,
के ए मुसाफ़िर, तेरा पता क्या है?
तो फिर बता?
क्यों पूछता है,
तेरे दर पर हाज़िर हर बंदा, ये मुझसे,
के बता तेरा सही पता क्या है?