ajab dastan
संत महात्माओं की नगरी थी ये दुनिया कभी , अब तो हर चेहरे पर मुखौटा हैं...
कितनो को अक्ल बाटोगे जनाब ,यहाँ तो हर शाख पे उल्लू बैठा हैं...
कितनो को अक्ल बाटोगे जनाब ,यहाँ तो हर शाख पे उल्लू बैठा हैं...
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