...

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किताब....!!!
किताब मेरी, पन्ने मेरे और सोच भी मेरी है,
फिर मैं जब लिखूं वो ख्याल क्यों तेरे होते हैं,
ये लकीरें ये नसीब ये किस्मत,
ये सब फ़रेब के आईनें हैं,
जब तक रूबरू ना हो शख्सियत तेरी,
तबतक कहां मुक्कमल ज़िंदगी के मायने हैं।
© Rajat