काँटों की खुशबू!!
तुम गुलाबों की स्याही हो
मेऱी कलम मै समाहि हो,
उड़ते है कबूतर जब छत पर
मुझे लगता है की तुम आई हो,
तुम ठंडी हवा सी
मैं गरम रेत्त की पुरवाई हूं,
जब हम मिलते है तो...
मेऱी कलम मै समाहि हो,
उड़ते है कबूतर जब छत पर
मुझे लगता है की तुम आई हो,
तुम ठंडी हवा सी
मैं गरम रेत्त की पुरवाई हूं,
जब हम मिलते है तो...