...

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फ़र्क
इश्क़ हो गया है ख़ामोशी से
वो याद करे या न करे क्या फ़र्क पड़ता है

एक ज़माना हो गया है अकेले रहते
वो लौट भी आए तो क्या फ़र्क पड़ता है

मर तो उसी दिन गए थे जब छोड़ा था उसने
चल रही है जो सांसे आज थमे या कल क्या फ़र्क पड़ता है

इश्क़ हो गया है ख़ामोशी से
वो याद करे या न करे क्या फ़र्क पड़ता है।।
© Brøkēñ vîjāy