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बेटियों का दर्द
Priyanka sahu@

एक बेटी ही समझ सकती है
माँ बाप का दर्द
जिसे नाज़ो से पाला दिल में
बिठाया
उसे खुद से दूर करने का दर्द
रिवाज ही कुछ ऐसा है
बेटिया घर में बिठाई सोभा नही
देती
बेटियों की दु निया ससुराल में सवरती
है
बेटिया नाम की तो बेटियां होती है
ससुराल जाने पर वो एक पत्नी
एक बहु एक माँ बन कर उभरती है
पर अपने माँ पापा का दर्द भी वो
समझती है
दूर से ही उन्हें खुश रखती है
हो तारीफ अगर ससुराल में तो
पिता की छाती चौड़ी होती है
बेटी तो बेटी होती है

© priyanka sahu