अशर्त प्रेम
पाप तो मैंने भी बहुत किए
पर तूने कभी मुझे छोड़ा नहीं
अपने से कभी दूर किया नही
अपने चरण का दस बनाए रखा
खुद से कभी वंचित नहीं किया
प्रभु तुने मुझे हमेशा अपने पास रखना
मेरा मार्ग दर्शन किया
प्रभु मेरे ह्रदय मे वास करना
मानती हूं कलयुग की प्राणी हूं
पर कभी किसी का बुरा करना तुझ से मैंने सीखा नही
मेरी आत्मा मेरा मन सब तो तेरा है
तुझे कितना भी धन्यवाद करू कम है
आज में जो कुछ भी...
पर तूने कभी मुझे छोड़ा नहीं
अपने से कभी दूर किया नही
अपने चरण का दस बनाए रखा
खुद से कभी वंचित नहीं किया
प्रभु तुने मुझे हमेशा अपने पास रखना
मेरा मार्ग दर्शन किया
प्रभु मेरे ह्रदय मे वास करना
मानती हूं कलयुग की प्राणी हूं
पर कभी किसी का बुरा करना तुझ से मैंने सीखा नही
मेरी आत्मा मेरा मन सब तो तेरा है
तुझे कितना भी धन्यवाद करू कम है
आज में जो कुछ भी...