...

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💔हम थे उसके गुनाहगार😔
💔😔😔💔
ज़माना गुज़र गया तब जाने
हम जा कर,
सिर पर हमारे न चुकने वाले
कर्ज़े तो थे,
वो हमें मनाती रही हमारी
नाराज़गी मिटाने को,
मगर हम मग़रूर उस पर
बेहद गरजे तो थे,
छुड़ाया जब हमने अपना
झटके से हाथ,
हाथ उसके ख़ुदा की कसम
लरज़े तो थे,
हम चल पड़े जो अनसुना
करके बेरूखी से,
नैना उसके सच में ज़ार-ज़ार
बरसे तो थे,
थी हाय लगनी तय उसके
गुनाहगार को,
तमाम उम्र लिहाज़ा हम भी
तरसे तो थे!
💔😔😔💔
— Vijay Kumar
© Truly Chambyal