मिल करके
आओ मुस्कुराते हैं मिल करके,
रंज-ओ-ग़म भुलाते हैं मिल करके।
तन्हाई में ज़िन्दा रहना मुश्किल है थोड़ा,
आओ एक रिश्ता बनाते हैं मिल करके।
कुछ कहते कुछ सुनते हैं दिलों की,
और रंग जमाते हैं मिल करके।
एक नया आयाम देते हैं इस सफर को,
मंज़िल तक साथ जाते हैं मिल करके।
रात को सवेरा कर दें अपनी मोहोब्बत से,
आओ फिर चिराग़ जलाते हैं मिल करके।
मोहोब्बत ज़रूरी सी है जीने के लिए,
आओ दिल लगाते हैं मिल कर करके।
शायर के अल्फ़ाज़
© All Rights Reserved
रंज-ओ-ग़म भुलाते हैं मिल करके।
तन्हाई में ज़िन्दा रहना मुश्किल है थोड़ा,
आओ एक रिश्ता बनाते हैं मिल करके।
कुछ कहते कुछ सुनते हैं दिलों की,
और रंग जमाते हैं मिल करके।
एक नया आयाम देते हैं इस सफर को,
मंज़िल तक साथ जाते हैं मिल करके।
रात को सवेरा कर दें अपनी मोहोब्बत से,
आओ फिर चिराग़ जलाते हैं मिल करके।
मोहोब्बत ज़रूरी सी है जीने के लिए,
आओ दिल लगाते हैं मिल कर करके।
शायर के अल्फ़ाज़
© All Rights Reserved