...

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मजदूर मुसाफ़िर
ना मददगार है कोई , ना कोई रहनुमा हमारा,
बढ़े चले जा रहे हैं, रुकेंगे कहाँ !

थोड़ा धर्य थोड़ा हिम्मत दिल में और भर लो
ओ मुसाफिर साथियों....
चीर-लम्बी राह हैं , रुकेंगे कहाँ !

राह में भुख प्यास से यदि हिम्मत टूटे तो धर्य भी रख लेंगे,
ये सुनसान राहों में अन्न -...