...

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उम्मीद
वक्त के गुलाम हैं लेकिन! जिंदगी आजाद है! जिंदा है तन सोने जैसा! मर गऐ तो ख़ाक़ है!खा खाकर ही ठोकरें !जीना हमनें सीखा है! अलग हैं दुनियां वालों से हम! अलग जीने का तरीका है! चार दिनों की उम्र मिली है !फिक्र मिली है लाखों में! जगा रखा उमीद का दीपक! रौशन अपनी आंखों में!