बाढ़ की विभीषिका
बिजली चमकती,मेघ गरजते,
जलद धारा बहती आती,
धरती कांपे, धारा थर्राए,
बाढ़ रोद्र रूप ,है दिखलाती।
नदियों का उफान जब आता,
शहरों को जलप्लावित कर जाता,
मानव जीवन थम-सा जाता,
जल का भयंकर रूप दिखाता।
सड़कों पर जल की चादर बिछी,
गली-गली में पानी की गहराई,
राहत की आस में बैठे लोग,
स्वजनों से होता वियोग।
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