...

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" मां ने संवारा "
किस्मत ने जब कभी भी हमकों बेघर किया,
मां ने संवारा सबको और घर को घर किया।

उठना सवेरे जल्दी काम के लिए,
समय नही मिला आराम के लिए,
सब कुछ सहज भाव बेअसर किया।

बच्चों को भावना सिखायी सद्भाव की,
शिक्षा दी हमेशा प्रकृति से लगाव की,
झेलकर दुख सभी हमें बेखबर किया।

खुदा रख सम्भाल कर नायाब हीरे को,
प्यार से है पाला हमारे जखीरे को,
मांगा नहीं कभी कुछ थोड़े में गुजर किया।