आज चढ़ी है, शायद कोई वजह बड़ी है
बहुत दिन पहले जो पी थी, जाने क्यों आज चढ़ी है।
कदम भी बहक रहे हैं, शायद कोई वजह बड़ी है।।
मौसम के सितम सुहाने, सुहानी ऋतुएं आई।
चाहे तन धूप जला दे, मन में सावन की झड़ी है।।
आंखों से नींदें...
कदम भी बहक रहे हैं, शायद कोई वजह बड़ी है।।
मौसम के सितम सुहाने, सुहानी ऋतुएं आई।
चाहे तन धूप जला दे, मन में सावन की झड़ी है।।
आंखों से नींदें...