...

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त्याग
छोड़ दिया वो नींदो का डेर, छोड़ दिया वो आरामो का मेला
नये जन से लगा लगाव,मिला दूसरे "घर-जनसे" हुआ अकेला
तैयार आज में पुरा लगाने वो दौड़,जो बंद आँखे लगाती वर्षों से
ना जाने कितने दर्द,आँसू, पीगए, इससे पाने के लिए हर्षो से

तना सीना,स्थिर नजर रख, हम देश के जवान,सदेव यहाँ खड़े है
शत्रु करके तो देखे एक प्रयास, अंतिम सांस तक हम लड़े है
सब कुछ बदल गया होगा, लेकिन हम अभी वहीं टीके हुआ है
मौसम भी हमसे हार गया, वो दूरबिं दर्शनिक कब तक टिकेंगे

मन से पहले हुई थी लड़ाई,प्रेम भुलकर,उसे मना कर जीत लिए
फिर तन के थे मोर्चा, तो जिद और जुनून से वो भी जीत लिए
हौसला से हासिल किया सब कुछ, हर कोई नहीं रख पाता है
हम भी थे कितनो के बीच, ऐसे ही थोड़ी कोई एक बन जाता है

तुम खूब जियो,खुश रहो, दत्ते रहो, सलाम, देश की सुरक्षा में
पंक्तियों की अरदास यही भगवान, सदेव अमरजन के रक्षा में
श्रोतागं ओ युवक! तुम याद रखो इनके प्रयास, बलिदानों को
अटल है,ये तन दीवार समान, तो देख रहे हो अपने जानो को
बोलेपंक्तियां©