...

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मरहम
चलो आज कुछ मरहम लिख ली जाए...
ज़ख्म तो सभी दिखाते हैं...
चलो आज दवा दी जाए...

की खोकर उस इंसान को...
तुमने सोचा कि खुद को खो बैठे...
तुम ये बहम क्यों पाल बैठे...
तुम खोज रहे हो किसी को...
अब जब कहीं भटक गए हो...
चलो तुम खुद को खोज लो..।

इस दुनिया कि भीड़ में...
मिला था कोई अपना सा..
मगर रहा वो कोई सपना सा...
तुम अब जाग भी जाओ...
जब होश में आओ...
ये दुनिया को ख़ूबसूरत पाओ...।

जिसके बारे सोचते हो इतना..
वो क्यों नहीं सोचता...
ये सोच कर खुद को तड़पाना मत...
बस ये सोचना : उसने छोड़ दिया एक हीरे को...
वो तो अपने बारे भी नहीं सोचता...।

प्यार की गुज़रे पलों को तुम ...
तिजोरी में सम्भाल लेना...
मत सोचना कि क्यों बेवफा निकले वो...
बस ये सोच लेना की तुम जैसा आशिक कोई नहीं..
तुमने कोई गुनाह नहीं किए...
तुम दिल से बहुत अच्छे हो...
ये कोई गुनाह नहीं।

उसने निभाया क्यों नहीं...
ये सवाल मत करना...
तुम्हारी चाहत में कोई कमी नहीं रही..
अपनी कोशिश पर तुम गुमान करना।
© jyoti