...

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ग़ुम हूँ....
ग़ुम हूँ
कहाँ हूँ.....
किन ख़्यालों में हूँ
मालूम नहीं,
मगर ग़ुम हूँ.....

ख़ामोशी मेरी कोई पढ़े नहीं
ऐ ❤️ क्यों किसी को भाये नहीं
ख़्यालों की भीड़ में बैठी हूँ.....
रूठी हूँ ,
उलझी हूँ.....

कहाँ हूँ
किन ख़्यालों में हूँ
मालूम नहीं,
मगर ग़ुम हूँ......!!!!





© my feelings