वो बचपन जो बीत गया ।
वो बचपन जो बीत गया,
उसके लम्हे याद आने लगे हैं।
वो लम्हे कैसे भी...फिर जी उठें,
यह सोचकर आंसू आने लगे हैं।
आज कल सुनहरी सुबह का मोह नहीं रहा,
पसंद तो चांद तारे आने लगे हैं।
अब हर छोटी चीज़ पर रोना नहीं,
सब कुछ सह कर...मुस्कुराने लगे हैं।
वो खिलखिलाहट...
उसके लम्हे याद आने लगे हैं।
वो लम्हे कैसे भी...फिर जी उठें,
यह सोचकर आंसू आने लगे हैं।
आज कल सुनहरी सुबह का मोह नहीं रहा,
पसंद तो चांद तारे आने लगे हैं।
अब हर छोटी चीज़ पर रोना नहीं,
सब कुछ सह कर...मुस्कुराने लगे हैं।
वो खिलखिलाहट...