...

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अगले जन्म मोहे ,,,,,,
उसके चेहरे पे हल्के से निशान थे
बदन भी था सहमा हुआ
फफक के वो रो पड़ी
जब चुके से मैने पूछा सखी से मेरी
बता तो सही क्या हुआ
मेरा हर दिन इतनी पीड़ा से भरा क्यों है सखी
क्या इसी दिन के लिए कहते इसे सौभाग्य है
अपमान घृणा तिरस्कार
हर रोज होता मान्यता प्राप्त दुराचार
क्या अब यही मेरा भाग्य है
नही नही विरोध हो सम्मान तेरा अधिकार है
जहा परस्पर सांझेदारी नही रिश्ता ही बेकार है
तू स्त्री है तेरे होने से ही तेरा ये संसार है
हर चीज से बड़ा स्वाभिमान
ये समझ तेरा स्त्री होना तेरा सम्मान है
भोग की वस्तु नहीं तू खुद ही तेरी शान है
परमात्मा से ये ही अरज कीजियो
अगले जन्म मोहे बिटिया ही किजो