...

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रानी लक्ष्मीबाई
महिषासुरमर्दनी सी दिखती कभी
काली दुर्गे का रूप धरती कभी
शस्त्र अपना साथ ले रणभूमि में
बढ़ती आगे वो जाती है
देश प्रेम की खातिर ही
सबके भीतर शक्ति वो जगाती है
घोड़े पर सवार ऐसी रानी
सबके मन को यूं ही भा जाती है
लक्ष्मीबाई की कहानी तो
बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है
बच्चे बच्चे को…..

दुश्मन की देह को चीर चीर कर
सिँह की दहाड़ वो भर भर कर
दुर्ग को अपने जीतने का प्रण ले
धरा पर रक्त बहाती ही जाती है
गरजती कभी तो कभी वार करती
क्रुद्ध हो शत्रु का संहार करती
क्षत्राणी अपनी सेना का नेतृत्व कर
वक्ष पर शस्त्र को धारण किये
पीठ पर निज अंश को बांधे
वीरता का परिचय देती जाती है
लक्ष्मीबाई की कहानी तो
बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है
बच्चे बच्चे….

पुलकित होते नाना बचपन में, जब
कृपाण कटारी को सहेली वो बनाती है
गुड्डे गुड़िया का ब्याह छोड़ कहीं
युद्ध की व्यूह रचना को वो सजाती है
नाना की बहना आज अकेली ही
फिरंगियों से भी भिड़ती चली जाती है
खड़ग की चमक अब सिन्दूरी हो
दूर दूर तक दिखाई दिए जाती है
यमुना तट पर शिकस्त देने वाली
महारानी अब चंडिका रूप ले जाती है
बुंदेलखंड की रक्षा करने को
माता बन अंग्रेजों का उद्धार किये जाती है।
लक्ष्मीबाई की कहानी तो
बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है
बच्चे बच्चे….

लक्ष्मी का जीवन जीने वाली
आज रौद्र अवतार में देखी जाती है
आजादी के हवन कुंड में स्वयं आहुति बन
देशप्रेम में ही अमर कहायी जाती है
झाँसी की रानी थी दुर्गा काली
शौर्य गाथायें वो, घर घर में गायी जाती है
हर नारी जब तलवार थामे
घोड़े पे सवार होये आगे बढ़ती जाती है
लक्ष्मीबाई की कहानी फिर फिर
यहाँ बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है।
बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है।।
©️इन्दु तोमर ✍️