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रानी लक्ष्मीबाई
महिषासुरमर्दनी सी दिखती कभी
काली दुर्गे का रूप धरती कभी
शस्त्र अपना साथ ले रणभूमि में
बढ़ती आगे वो जाती है
देश प्रेम की खातिर ही
सबके भीतर शक्ति वो जगाती है
घोड़े पर सवार ऐसी रानी
सबके मन को यूं ही भा जाती है
लक्ष्मीबाई की कहानी तो
बच्चे बच्चे को सुनाई जाती है
बच्चे बच्चे को…..

दुश्मन की देह को चीर चीर कर
सिँह की दहाड़ वो भर भर कर
दुर्ग को अपने जीतने का प्रण ले
धरा पर रक्त बहाती ही जाती है
गरजती कभी तो कभी वार करती
क्रुद्ध हो शत्रु का संहार करती
क्षत्राणी अपनी सेना का नेतृत्व कर
वक्ष पर शस्त्र को धारण किये
पीठ पर निज अंश को बांधे
वीरता का परिचय देती जाती है
लक्ष्मीबाई की...