...

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कल किसने देखा है
किस्मत की लकीरो मे क्या है
ये लेकर क्यू बैठे हम
कर्म अपने हाथो मे है
तो क्यू ना करे हम
ज़िन्दगी मे जो नही मिला है
उसका अफ़सोस क्यू करे हम
अपने पास जो कुछ है जो भी मिला है
उसी मे क्यू ना ख़ुश रहे हम
माना कभी खुशियाँ हैं कभी गम हैं
ये तो जीवन के दो पहलू है तो क्यू मायूस हों हम
मुश्किल राहें कठिन रास्तो के पार ही मंजिल है
तो चंद कोशिशो की ठोकरों से हार क्यू माने हम
आज हम असफल है
लेकिन कल किसने देखा है.........
अंधेरों से पार एक रौशनी का दिया जल रहा है
तो मायूसी का दामन थामे क्यू बैठे हम
वक़्त -2 की बात है वक्त कब करवट लेता है
ये कब किसने जाना है
हमें तो बस अपने कर्तव्य को निभाना है
आज जमी के जर्रे से हैं
कल आसमां मे चमकेंगे हम
तो क्यू उदास हो ज़िन्दगी बेरंग करे हम
चलो छोटी छोटी कोशिशो से
अपनी मंजिल की ओर बढ़े हम
नाकामयाबी के डर से
खामोश हो बेजान से क्यू बैठे हम

© kalpana@kalpu