...

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MAA !!
एक बार मैँने खुदा से पूछा
हे खुदा जरा बता क्या है, तेरा वजूद
कैसे मैं मान लु तू है इस धरती पर मौजूद
खुदा ने कहा , कभी देखा है अपनी माँ का चेहरा
इसमें छिपा है एक राज़ गहरा

माँ, ममता कि है अनोखी मूर्ति
वास्तव में वह मेरी है अनुपम कीर्ति
मैंने तुम सबको दिया है एक प्यारा वरदान
कैसे कहू मैंने जिस्म से निकाल के दे दि है अपनी जान

माँ, वह तो मेरी ही परछाई है
वह हमेशा बताएगी तुम्हे कहाँ कहाँ खाई है
वह नौ महीने तक अपनी कोख़ में तुम्हे पालती है
सच कहू वह तुम्हे सींचती है , तुममे जान डालती है

कभी किसी की तारीफ मैं शब्द कम पर जाते है
माँ शब्द तो वह है जिसमें सारी दुनिया समाती है
सच कहू तो माँ शब्द एक ज्योति के सामान है
जिसने किया इसका कद्र वही प्रकाशमान है

नारी का हर रूप निराला होता है
चाहे वह माँ हो, पत्नी हो या हो बहन
यह तुम्हारे लाख दु :खो को सहती है
परंतु तुमसे कभी कुछ ना कहती है

याद रखना आंखों में इनके कभी आंसू ना आए
क्योंकि रोएगी ये ,परंतु तुम्हारी किस्मत ठहर जाए