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बिन कहे ।
बचपन की उस मुस्कान को
जो जिंदगी भर कायम रखने की
कोशिश में
सारी उम्र अपने आंसू छिपता है,
ऑफिस से थका- हारा आकर
तुम्हें बहार घुमाने ले जाता है,
लाखो शौक़ थें जिसके कभी,
पर..
तुम्हारी जिद के आगे झुक जाता है,
और
दुनिया भर की तकलीफ़े अपनी झोली में डाल कर..
छुक-छुक वाली गाड़ी से लेकर,
दिवाली के पटाखो तक..
जो तुम्हारे लिए सारी खुशियाँ बटोर लाता हैं ,
जिंदगी भर मेहनत करने में जो तुम्हारा बचपन नहीं देख पाता हैं..
फिर भी हताश हुए बिना हमेशा तुमसे प्यार करता है,
और ,
दुनिया भर का खजाना समेट लिया जिसने तुम्हारे लिए
पर फिर भी तुम्हें अपने पैरों पर खड़ा रहना सिखाता है,
इतना सब कर के भी जो तुमसे कभी कुछ नहीं मांगता हैं,
वो एक पिता होता है।
© Swapnil
जो जिंदगी भर कायम रखने की
कोशिश में
सारी उम्र अपने आंसू छिपता है,
ऑफिस से थका- हारा आकर
तुम्हें बहार घुमाने ले जाता है,
लाखो शौक़ थें जिसके कभी,
पर..
तुम्हारी जिद के आगे झुक जाता है,
और
दुनिया भर की तकलीफ़े अपनी झोली में डाल कर..
छुक-छुक वाली गाड़ी से लेकर,
दिवाली के पटाखो तक..
जो तुम्हारे लिए सारी खुशियाँ बटोर लाता हैं ,
जिंदगी भर मेहनत करने में जो तुम्हारा बचपन नहीं देख पाता हैं..
फिर भी हताश हुए बिना हमेशा तुमसे प्यार करता है,
और ,
दुनिया भर का खजाना समेट लिया जिसने तुम्हारे लिए
पर फिर भी तुम्हें अपने पैरों पर खड़ा रहना सिखाता है,
इतना सब कर के भी जो तुमसे कभी कुछ नहीं मांगता हैं,
वो एक पिता होता है।
© Swapnil
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