हारा हुआ शक्श
कभी टूटा हुआ
तो कभी बिखरा हुआ था
पर तेरी नज़र में तो मैं
शख्स बिगड़ा हुआ था...
खुशियां बटोरने में जरा कमजोर था मैं
पर गमों की शफ में शख्स
अकेला खड़ा था मैं....
उड़ता तो था मैं भी...
तो कभी बिखरा हुआ था
पर तेरी नज़र में तो मैं
शख्स बिगड़ा हुआ था...
खुशियां बटोरने में जरा कमजोर था मैं
पर गमों की शफ में शख्स
अकेला खड़ा था मैं....
उड़ता तो था मैं भी...