वो चहरे...
याद है आज भी मुझे वो चहरे, जिन्हें देखकर ही मेरी हर सुबह हुआ करती थी,
याद है वो सब अल्फाज, जिन्हें सुनकर अक्सर मेरी रातें गुजरा करती थी,
बिन बताए बिन बुलाए, एक मुस्कान मेरा हाल चाल पूछा करती थी,
नींद ना आए तो सुला देती, जिसकी आंख मेरे साथ खुला करती थी,
सन्नाटे...
याद है वो सब अल्फाज, जिन्हें सुनकर अक्सर मेरी रातें गुजरा करती थी,
बिन बताए बिन बुलाए, एक मुस्कान मेरा हाल चाल पूछा करती थी,
नींद ना आए तो सुला देती, जिसकी आंख मेरे साथ खुला करती थी,
सन्नाटे...