...

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तुम
तुम,
क्या हो मेरे लिए,
एक ब्रह्म,
या एक सचाई,
जिससे में दुर रहना भी चाहती हूं,
पर रह नही पाती,
तुम,
एक इबादत तो नही पर
उससे कम भी नहीं हो मेरे लिए,
तुम,
और में,
क्यों हम ना बने,
क्यों अपनी मोहब्बत इज़हार करके भी ना कर पाए,
ना होती ये बंदिशे,
ना होगें, में, तुम, हम कभी।
तुम,
बस तुम
ना वादा कर पाएंगे,
साथ निभाने का,
पर जितने पल हैं,
उतने पल निभाते चले जाते हैं।
तुम,
मेरे होगे भी मेरे नही हो,
जैसे दूरी होकर भी नही है।
तुम,
बस सदा युही रहना,
हमारे बिताए हुए पल भूल जाओ, पर कभी देखकर बस अंजान ना बना।
तुम।।
-Feel through words✨

© Feel_through_words