घर का आंगन
घर का आंगन
होता है सबका मनभावन
क्योंकि इस बिंदु पर खड़े रहकर
घर को चारों दिशाओं से
आंख भर देखा जा सकता है
जहां सबकी नज़र हमेशा रहती है
और शाम होते ही चारपाइयों
पर या कुर्सियों पर कभी कभी
जमीन पर ही नहीं आंगन पर ही बैठकर
हम इधर उधर की बातें करते है
कुछ सुनते हैं कुछ सुनाते हैं
और शरद ऋतु में आग की लंबी
सी...
होता है सबका मनभावन
क्योंकि इस बिंदु पर खड़े रहकर
घर को चारों दिशाओं से
आंख भर देखा जा सकता है
जहां सबकी नज़र हमेशा रहती है
और शाम होते ही चारपाइयों
पर या कुर्सियों पर कभी कभी
जमीन पर ही नहीं आंगन पर ही बैठकर
हम इधर उधर की बातें करते है
कुछ सुनते हैं कुछ सुनाते हैं
और शरद ऋतु में आग की लंबी
सी...