मुलाक़ात!
जाने क्यूं आजकल मुलाक़ात नहीं होती
वो जो बीत गई है वो रात नहीं होती....
बातो - बातो में जो निगाहें टकराती थी
ना जाने क्यूं आजकल वो तकरार नहीं होती
जिनके आने से बदलते थे मौसम....
ना जाने क्यों आजकल उनके दीदार नहीं होते
जो आजकल आपसे बात नहीं होती...
ना जाने क्यूं मुलाक़ात नहीं होती।।
© #poetry_dil_se
वो जो बीत गई है वो रात नहीं होती....
बातो - बातो में जो निगाहें टकराती थी
ना जाने क्यूं आजकल वो तकरार नहीं होती
जिनके आने से बदलते थे मौसम....
ना जाने क्यों आजकल उनके दीदार नहीं होते
जो आजकल आपसे बात नहीं होती...
ना जाने क्यूं मुलाक़ात नहीं होती।।
© #poetry_dil_se