मुसाफिर हूं
दर बदर भटक ता मुसाफ़िर हूँ
तन्हा राहों का मुसाफ़िर हूँ
गलियारों नुक्कड़ को मुझे गले
नही लगाना में तो मुसाफ़िर हूँ
इस संसार की खुशियों से मुझे
क्या वास्ता में तो मुसाफ़िर हूँ
रास्तों से प्यार में शहर को देता
नही जवाब में तो मुसाफ़िर हूँ
मुड़ कर पिछे देखना हमें नही
आता में तो मुसाफ़िर हूँ
मिलों का सफ़र तय करना है
में क्यू रुकु में तो मुसाफ़िर हूँ
मंज़िल मिले ना मिले मुझे तो
चलते रहना में तो मुसाफ़िर हूं
ज़िंदगी से मुझे नही कोई गिला
शिकवा में तो मुसाफ़िर हूँ
नीचे धरती ऊपर आकाश यहीँ
मेरा सहारा में तो मुसाफ़िर हूँ
साँसे जहाँ कहेंगी वही ठहर
जाऊँगा में तो मुसाफ़िर हूँ
कुछ ही पल का मेहमान हूँ ए
ज़िंदगी में तो एक मुसाफ़ीर हूँ
© बेशक मैं शायर नहीं