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आओ ईद मनाए
भाईचारे का त्योहार मनाय
सद्भाव मोहब्बत के दिप जलाय,
हम एक है एक ही रहेंगे इसी
अनेकता में एकता के नज्म गाए
आओ ईद मनाय,
किस बात का झगड़ा है यहाँ
क्यों धर्म के दो राहे है
अल्लाह भगवान तो बस
संज्ञा के सिराहे है ।
हम माँ भारती के लाल है
एक ओर अटल ,एक ओर कलाम है
उच्च विचार के है सब पूरक
कही सुभाष तो कही गफूर खाँ है,
सभी धर्म बस इंसा को
इंसान बनना सिखाते है,
बिसरे राह से नेक राह पर लाते है
नफरत की दीवार तोड़
अमन चमन के फूल खिलाए
चलो ऐसी ईद मनाय।
_अभिषेक सिंह
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