सुन ऐ मेरी ज़िन्दगी
सुन ऐ मेरी जिंदगी,,
आ बैठ आज तू पास मेरे।
क्यों हमें थामने के लिए,,
नहीं उठते कभी भी हाथ तेरे।
बचपन में ही तूमने हमें,,
जिम्मेदारी का दामन पकड़ा दिया।
हंसने खेलने की उम्र में तुमने,,
हमें तुफानों से टकरा दिया।
छोड़ दिया था साथ सब ने,,
हम फिर भी मुसीबतों से लड़ते रहे।
गिर जाते खुद ही संभल जाते,,
फिर संभलकर आगे बढ़ते रहे।
तेरी हर...
आ बैठ आज तू पास मेरे।
क्यों हमें थामने के लिए,,
नहीं उठते कभी भी हाथ तेरे।
बचपन में ही तूमने हमें,,
जिम्मेदारी का दामन पकड़ा दिया।
हंसने खेलने की उम्र में तुमने,,
हमें तुफानों से टकरा दिया।
छोड़ दिया था साथ सब ने,,
हम फिर भी मुसीबतों से लड़ते रहे।
गिर जाते खुद ही संभल जाते,,
फिर संभलकर आगे बढ़ते रहे।
तेरी हर...