...

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प्रिये
जान कर भी अंजान बनना
अनोखा तुम्हारा अंदाज प्रिये,
पूनम की चंद्रप्रभा सा
तुम्हारा अट्टहास प्रिये!

घुंघट में खिला गुलाब सा
मुखड़ा ये अनायास प्रिये,
हिरनी सी चाल तुम्हारी
करती हिय को बेहाल प्रिये!

नदिया किनारे हिलोरें लेती
कदंब कि तुम डाल प्रिये,
केशव के मन की कस्तूरी
हो जीवन की तुम श्वास प्रिये!

चितचोर तुम्हारे नैन कजरारे
करते मीठी तकरार प्रिये,
कोयल का गहना बोली उसकी
खामोशी तुम्हारा श्रृंगार प्रिये!





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