इश्वर मेरे !!!
#WritcoPoemPrompt44
भूली बिसरी यादें सबको संजो के चली
कब हंसी थी कब रोई थी सब कुछ यादों में लेके चली |
जीवन की इससे चक्रभियु में , मैं धीरे धीरे फसती चली
है इश्वर मेरे !!! आपकी रचि भूमिका को मैं निभाती चली |
पर कहीं मुझे एहेशा आया की ,यहा तक मैं एकली ही चली
कुछ ना लिया कुछ ना दिया सिर्फ़ चलती ही चली |
© SAM
भूली बिसरी यादें सबको संजो के चली
कब हंसी थी कब रोई थी सब कुछ यादों में लेके चली |
जीवन की इससे चक्रभियु में , मैं धीरे धीरे फसती चली
है इश्वर मेरे !!! आपकी रचि भूमिका को मैं निभाती चली |
पर कहीं मुझे एहेशा आया की ,यहा तक मैं एकली ही चली
कुछ ना लिया कुछ ना दिया सिर्फ़ चलती ही चली |
© SAM