...

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विधवा तो क्या हुए ! “सपना मेरा............”
सपना मेरा आखिरकार वो भी ना पूरा होने दिया,
बस इतना ही कि आसमां में आजादी से तो उड़ना चाहती थी ,
मुझे वो भी ना खुलकर उड़ने दिया |
पूरा जहाँ कहता कि आँखों में आँसूं लिए ही रहना ,
*विधवा तो क्या हुए *,
एक पल भी ना हमको हंसने दिया |
संतरंगी वेशभूषा देख मन मेरा भी करता है पर बेरहम दुनिया ने ना मुझे रंगों में महकने दिया |
एक यही तो था सपना मेरा आखिरकार वो भी ना पूरा होने दिया |
क्यों जालिम लोगों ने मुझे ना जीने दिया ||

Sk पूरे अल्फाज़ !
© sukriya Kirodiwal