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एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त में श्रृजनिका कर्म की पोटली बनकर खेलिका कठपुतली कहलाई।।
यह एक असम्भव प्रेम गाथा अनन्त है,
जिसके दो महत्वपूर्ण विषय है -
मनु तथा स्त्री वो विषय है जिसने इस गाथा को कर्मपोशित कर कर्मकीपोटली बनया है जहां योनि की केवल गोख है जिसके कारण वो पुनर्जन्म गोखिका के में एक सौदामिन भी कहलाई गई थी।।
जिसने मां की योनि मिलने पर भी,
कुलछणी जिसके लक्षण ऐसे थे जिसने रोटी सजाने अपने अस्तित्व की आसीमता पर एक प्रश्न लागाया जिसमें उसने अर्थ के लिए अपने आप को गोखिका बनी सौदामिनी खलनायिका -अकाल मृत्यु का नाम लेकर उसने अपना सबकुछ लालच में अर्जित कर उसने बाबू की अर्थी एक कुछ शण बाद ही उनकी प्यारी को,
कर्म की पोटली बनाकर खेलिका कठपुतली बनाकर बाजार के रंगमंच पर बैठा दिया।।
एक वैश्या की डायरी के पन्ने ।।
वह कहती हैं मैं दुमार्गम हूं,
स्थाई ♥️व अस्थाई 💔
मेरे वास कहा है आईए आपको बताती हूं।।
तो आइए सुनिए और जानिए मेरा वास क्या है।।
मेरी चूबानी मेरी कथा सुनिए जनाब 🙏🪔
जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हो जाती,
वो असुध कहलाई वैशया कही गई है जो कालचकृ द्वारा दंडित होकर भृमण कर कर्मों ही कहलाई जाती है वह असुध वैश्य समाज में श्राप होती है वह अस्थाई कहलाई जाती है जो कि आजकल हर मार्ग पर स्थित है।।
मगर वो सुध वैशया जो प्रकृति में वास करती है,
जो बैकुनडी रीढ़ा मोक्षिका बनकर बैठकुन्धाम मोक्ष प्राप्त कर अपने अस्तित्व की आसीमता में को प्राप्त कर समाप्त कर अपने अस्तित्व में ही हो जाती है वह आज कल विलुप्त होने को है।।
मगर उसका मुख्य श्रोथ है प्रकृति जो असुध कहलाई जाने वाली वेशया ने अपने प्रभाव में लेकर धीरे धीरे नष्ट करना सुरू कर दिया है।।
सुध वैशया जो केवल एक समझौता तय करती है जिसका नाम पेट की आग है।।
मजबूरी है वह केवल बहुमार्गम अपना वेश्यालयों में वास करती वह स्थाई है।।
मगर कालगृस्त असुध कहलाई जाने वाली वेशया जो केवल जरमसुख देकर अपनी योनि तथा चूत चटवाकर अन्य व्यक्ति हवस में सहायता करती है वे असुध कहलाई जाती है जिनका वास प्रकृति दरिद्र के नाम से हुआ है।।
जहां असुध का अकाल मृत्यु में जाकर किन्नर कल्याणवी मूर्ति होता है वहीं सुध वैशया का वास प्रकृति तथा बैठकुन्धाम में बैकुनडी रीढ़ा बनकर मोक्ष प्राप्त कर होता जिससे वो अपने अस्तित्व की आसीमता को प्राप्त कर बैकुनडी रीढ़ा बनकर मोक्ष प्राप्त कर लेती है।।
मगर दोनों ही प्रकृति के श्रोत बनकर प्रकृति में ही वास करते हैं।।🙏
और तो और वो असुध कहलाई जाती क्योंकि वो उसकी हवस मिटाने के उसके लन्ड को चूसने तथा चाट चाट उसका वीर्य स्वयं पर बहातीं है वो
चीखें निकलती लेकिन वो यौन क्रिया करती संभोग क्रिया नहीं करना जानती है शायद वो?
📝एक वेशया की डायरी का भाग📝