...

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थाली के पानी में......
थाली के पानी मे उतरे चाँद से हो तुम
जो हवा के हल्के झोंके से लुप्त हो जाए
जिसमें ना है कोई तेज़...
ना शीतलता..
ना गति...
ना स्नेह....
ना माधुर्यता..
ना ही प्रेम की गर्माहट...
है बस -
एक झूठा आश्वासन
सच से परे...
सिर्फ एक प्रतिबिम्ब
जिसका कोई अस्तित्व नहीं
बस एक खूबसूरत भ्रम
हा... भ्रम ही तो हो
थाली के पानी मे उतरे चाँद जैसे...
© Madhumita Mani Tripathi