...

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ख़त्म हो गया
हर एक सोपान
का मूल्य, मंझधार
से तट तक की यात्रा
पथिक की प्यास और प्रतीक्षा
का चातक उद्दात
सब ख़त्म हो गया ....
बुज़ुर्गों में भी आजकल
वो ठहराव, वो बड़प्पन का भाव
यथार्थ की बातें, किस्से का चाव
सब ख़त्म हो गया...
बांटना, भांपना, डांटना
सब कुछ बदल गया
ख़ामोश लबों पे आकर रूकी
सीखें नये आयाम में झुकीं
बेज़ुबां होकर इतिहास रह गया
सब ख़त्म हो गया ....
--Nivedita