...

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प्रेम का राज .…...
अगर प्रेम के एहसास को यूँ जाना न होता,
प्रेम की अनुभूति का राज पहचाना न होता।

यूँ ही तन्हा बेरंग सी गुजर जाती मेरी जिंदगी
मेरी जिंदगी का ये हंसी अफसाना न होता।

दिल की धड़कनों में तेरा प्यार बसाया ना होता
साँसों में महकता है इश्क का ये नशा ना तेरा।

अगर तुझ से जुड़ा मेरा अटूट बंधन ना होता
किसी रिश्तों पर मेरा विश्वाश बना ना होता।

प्रेम के एहसास को संग तेरे जिया ना होता
प्रेम की उमंग का कोई रंग पहचाना ना होता।

तन्हा बेरंग बेतरतीब जीती जिंदगी मैं तेरे बिन
खनकती हंसी का राज तो मैने जाना ना होता।
© ऋत्विजा