बेकदर से प्यार का दावा
महफ़िल में जब भी तुम्हारा नाम लबों पे आया,
तो अक्सर ठिठोलियों के साथ उड़ाया गया है मज़ाक़ हमारा ।
हर नखरे को तुम्हारे, जोड़ लिया था हमने अपनी धड़कनों से,
जो लोगों के नजरों में न हुआ कभी ये सब ग़वारा ।
बुरा तो लगता था जरुर, पर इतने दर्द नहीं दिए थे कभी;
जितने...