...

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स्याही का रंग.....
मै वो रंगीन जल हूँ, जो सुनहरे सपनो को लिखती हूँ
मै वो रंगीन जल हूँ, जो सुनहरे कल को लिखती हूँ ।
मेरी एक बूँद से कोरा कागज़ भी महक उठता है,
मेरी एक बूँद से अम्बर भी चमक उठता है ।।

कभी नीली तो कभी लाल चादर ओढ लेती हूँ,
मै तो स्याही हूँ, सभी के दिलों को जित लेती हूँ ।।

छोटे बच्चों के हाथों से लेकर बूढो के अंगूठे तक,
कोट-कचहरी से लेकर लोगों के दफ्तर तक,
स्कूल की परीक्षा से लेकर जिन्दगी के इंतिहान तक,
मै स्याही तो हूँ, लोगों के दिलों और दिमाग तक।।

कभी नीली तो कभी लाल, मै स्याही तो हूँ कभी रंग-बिरंगी तो कभी लाल.....

© 😜Rudy👀