...

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टूटे थे इस क़दर
टूटे थे इस क़दर
मगर इश्क का मंजर
किसी और के साथ सजाए जा रहे थे
💙💝
मांगा था अपने वक्त में किसी को
मगर किसी और के साथ
वक्त बिताए जा रहे थे
💙💝
कोशिश थी नाराज बने रहने की जिनसे
मगर अपनी नाराज़गी से हम
किसी और को रुलाए जा रहे थे
💙💝
मोहोब्बत में पड़ के आदत लग जाती है
मगर हम किसी और को
अपनी आदत लगाए जा रहे थे
💙💝
खामोशी से हैरान थे किसी की
मगर खुद खामोश रहकर
किसी और को सताए जा रहे थे
💙💝
वादे हजार किए किसी ने
मगर किसी और के साथ उन
वादों को निभाए जा रहे थे
💙💝
सुनना चाहते थे दर्द ए मोहिब्बत उनका
मगर किसी और को
अपना दर्द सुनाए जा रहे थे
💙💝
टूटे थे इस क़दर
मगर इश्क का मंजर
किसी और के साथ सजाए जा रहे थे
💙💝

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