...

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कई और भी है...!
मैं अकेला नहीं इस शहर में
मुझ जैसे शायर कई और भी है,
और गम नहीं गर दाद ना दो तुम मुझको
मुझे पढ़ने वाले कई और भी है।

अभी तो बस सुरुवात हुई है
इस खजाने में शेर कई और भी है
और अगर दिल से ना निकले तो वाह मत कहना,
ताली बजाने वाले कई और भी है।

आसान नहीं है कला कोई भी
करतब दिखाने वाले कई और भी है,
और अब भी चाहो तो चुप ही रहना
खामोशी में जीने वाले कई और भी है।

माना अपना एहसास लिखा है हमने लेकिन
इस दर्द को जीने वाले कई और भी है
और हो अकेले नहीं मूक दर्शक तुम
जिंदा लाश कई और भी है।

मै अकेला नहीं इस सफर में
मुझ जैसे शायर कई और भी है...!!


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