...

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ईश्वर तेरी महिमा
ईश्वर तेरी महिमा से,
दिन-रात हो रहा है।
सठिक समय का पहिया,
अनवरत घूम रहा है।

तेरा मेरा स्वामी मेरे,
जन्मों-जन्मों का नाता।
तेरे बिना यहाँ कौन जो?
हमारा खयाल रख पाता।
चलती जीवन की गाड़ी,
गुणमान बढ़ रहा है।
सठिक समय का पहिया,
अनवरत घूम रहा है।

टिक-टिक चलती घड़ी,
जगत का समय बताती जाती है।
छुक-छुक चलती गाड़ी,
मुसाफ़िर मंजिल पहुंचाती है।
जगत की हर अदा नियत के,
मार्ग चल रहा है।
सठिक समय का पहिया,
अनवरत घूम रहा है।

छाते है दु:खों के बादल,
कष्टों की वर्षा होती।
तुम्हरे कृपा से प्रभू मेरे,
सुख की क्यारी फिर खीलती।
सुख की धारा में बह कर,
यह जीवन महक रहा है।
सठिक समय का पहिया,
अनवरत घूम रहा है।

हम बालक तेरे, प्रभू तेरी,
महिमा जान न पाए।
हम अबोध तुम्हारी लीला,
कभी समझ न पाए।
हम अज्ञानी, मूढ़ पर दर से,
इंसाफ मिल रहा है।
सठिक समय का पहिया,
अनवरत घूम रहा है।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey