शीर्षक: इसी धरा पर सब धर जाना ह
शीर्षक: इसी धरा पर सब धर जाना है
मुट्ठी बांधे जन्म लिया, हांथ पसारे जाना है
इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जाना है।
जीवन के इस चक्र में, हर कोई मुसाफिर है,
खाली आया, खाली जाएगा, ये बस एक मुसाफिरखाना है।
संग नहीं जाएगा धन-दौलत, न ही शानो-शौकत,
बस कर्म और प्रेम की बातें, यही बस रह जाना है।
जन्म लिया तो कुछ ऐसा कर, जो यादों में सबके बस...
मुट्ठी बांधे जन्म लिया, हांथ पसारे जाना है
इस धरा का, इस धरा पर, सब धरा रह जाना है।
जीवन के इस चक्र में, हर कोई मुसाफिर है,
खाली आया, खाली जाएगा, ये बस एक मुसाफिरखाना है।
संग नहीं जाएगा धन-दौलत, न ही शानो-शौकत,
बस कर्म और प्रेम की बातें, यही बस रह जाना है।
जन्म लिया तो कुछ ऐसा कर, जो यादों में सबके बस...