मेरा तप
मेरा तप
मेरे तप का फल कहाँ है, मेरे ईश्वर.....
ना आस थी, ना उम्मीद , उसे पाने की|
छोड चुकी थी, उसे पाने के ख्वाब मै,
फिर पता नहीं क्यो?
तूने परखा मुझे, तराशा मेरी चाहत को.....
हद देखनी चाही तूने , मेरी चाहत की.....
डटी रही मै अपने तप मे,
हर असंभव कोशिशें भी की....
आखिरी...
मेरे तप का फल कहाँ है, मेरे ईश्वर.....
ना आस थी, ना उम्मीद , उसे पाने की|
छोड चुकी थी, उसे पाने के ख्वाब मै,
फिर पता नहीं क्यो?
तूने परखा मुझे, तराशा मेरी चाहत को.....
हद देखनी चाही तूने , मेरी चाहत की.....
डटी रही मै अपने तप मे,
हर असंभव कोशिशें भी की....
आखिरी...