मेरी कलम से...
कुछ ख़ास बनने की चाहत लिए,
ज़िन्दगी में इतनी दूर चली आई,
खुदा ने नवाज़ा इस हुनर से,
भीड़ में अपनी छोटी सी पहचान बनाई,
बदलते देखा रिश्तों को मौसम सा,
ऐसे में तूने मुझसे वफ़ा निभाई,
ज़ब ज़ब मेरे लफ्ज़ हारे,
तूने जज़्बातों से कर दी भरपाई,
ज़िन्दगी के इस कोरे कागज़ को,
ज़ब ज़ब तुजसे स्पर्श कराया,
आँखों से जज़्बात बह उठे,
तूने अल्फ़ाज़ों से उसे सजाया,
तनहाई के...