LIFE
घर से निकले चौक गए फिर पार्क में बैठे
तन्हाई को जगह जगह बिखराया हम ने
इश्क़ के क़िस्से न छेड़ो दोस्तो
मैं इसी मैदाँ में हारा था कभी
सारी दुनिया से लड़े जिस के लिए
एक दिन उस से भी झगड़ा कर लिया
पढ़ाई चल रही है ज़िंदगी की
अभी उतरा नहीं बस्ता हमारा
कौन था वो जिस ने ये हाल किया है मेरा
किस को इतनी आसानी से हासिल था मैं
इतने बड़े हो के भी हम
बच्चों जैसा रोते थे
अभी बहुत रंग हैं जो तुम ने नहीं छुए हैं
कभी यहाँ आ के गाँव की ज़िंदगी तो देखो
तसल्ली अब हुई कुछ दिल को मेरे
तिरी गलियों को सूना देख आया
बिछड़ना है हमें इक दिन ये दोनों जानते थे
फ़क़त हम को जुदा होने की फ़ुर्सत अब हुई है
ये सच है दुनिया बहुत हसीं है
मगर मिरी उम्र की नहीं है
13 HOURS AGO
5
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अपनी प्रतिक्रिया साझा करें ...
Basudeo
11 Apr 2022
बिछड़ना है हमें इक दिन ये दोनों जानते थे फ़क़त हम को जुदा होने की फ़ुर्सत अब हुई है...... ये अंत मे अगर "है" ना लगाते तो और ज्यादा रिदैमेटिक होता
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UGC Rachna
विशेष
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जौन एलिया: ज़िक्र भी उस से क्या भला मेरा
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चराग़ शर्मा: सब्र अच्छा है मगर एक दफ़ा देख तो ले
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Osheen
1526 कविताएं
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Sapna Pandey
39 कविताएं
Dr
Dr fouzia
1537 कविताएं
Updesh
Updesh Kumar
633 कविताएं
Salil
Salil Saroj
631 कविताएं
sujit
sujit anand
556 कविताएं
...
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11 Apr 2022
बिछड़ना है हमें इक दिन ये दोनों जानते थे फ़क़त हम को जुदा होने की फ़ुर्सत अब हुई है...... ये अंत मे अगर "है" ना लगाते तो और ज्यादा रिदैमेटिक होता
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