...

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सिर्फ तुम
क्या कहूं, और कैसे की तुम क्या हो मेरे लिए,
आफतों के दौर मे, चैन की घड़ी हो तुम!!
रात के अंधेरे का चिराग सिर्फ तुम हो,
मेरी नींद भी तुम ही हो!!
दोस्तो की महफिल मे, मेरी खुशी हो तुम!!
फिज़ा की शाम मे, रुत बहार की हो तुम!!
और क्या कहूं की क्या हो तुम;
मेरी सारी उम्र की एक ही कमी हो, तुम!!
बस, मेरी जिन्दगी हो तुम!!!

© From ANNU